General Books And Subsidiary Accounts Record in Indian Railway

भारतीय रेल के सामान्य खाते और सहायक लेखा अभिलेख In English

  • रेलवे के लेखा कार्यालय में लेखा परिक्षेत्र(Accounts Circle) में होने वाले लेन-दनों को एकत्रित करने और उनका लेखा-जोखा रखने के लिए और मासिक तथा वार्षिक लेखों को संकलित(compile) करने के लिए जो खाते रखे जाते हैं, उन्हें सामूहिक रूप से रेलवे के सामान्य खाते(General Books) कहलाते हैं।
  • रेलवे में रखे जाने वाले सामान्य खाते निम्न है -
    1. सामान्य रोकड़ बही/नकद लेन- देन का दैनिक सार(General Cash Book or Daily Abstract of such Transaction)(Cash Book)
    2. सामान्य रोकड़ सार बही या नकद लेन- देन का वर्गीकृत मासिक सार(General Cash Abstract Book or the Monthly Classified Abstract of Cash Transaction)
    3. रोजनामचा(Journal)
    4. खाता बही(Ledger)
  • राजस्व(Revenue) और पूंजी(Capital) लेन-देन के लिए अलग-अलग लेजर और जनरल बनाए जाते हैं परंतु नगद लेन-देन का दैनिक सार मासिक रखा जाता है।
  • जनरल(Journal) का प्रतिपादन वैसे लेन-देन का लेखा करने के लिए किया जाता है जो कि नगद में नहीं होते हैं।
  • विभिन्न शीर्षो में रेल प्रशासन पर समस्त प्राप्तियों एवं प्रभारों तथा प्रत्येक लेखा अवधि में उनके क्रमिक(Progressive) शेष का प्रदर्शन करने के उद्देश्य बनाया गया वही खाता बही(Ledger) कहलाता है।
  • पूंजीगत समस्त नकद लेन-देन को रोजनामाचा पर्ची(Journal Slip) द्वारा पूंजी लेखे को अंतरित(Transfer) किया जाता है।
  • सामान्य रोकड़ बही और सामान्य रोकड़ सार बही का केवल एक सेट होता है जिसे राजस्व खाते के सहायक के रूप में रखा जाता है।
  • वह पुस्तक जिसमें लेखा कार्यालय के समस्त रोकड़ प्राप्ति एवं रोकड़ भुगतान के लेन-देनों का लेखा करने के उद्देश्य से प्रतिपादित की जाती है उसे सामान्य रोकड़ बही(General Cash Book) कहते हैं।
  • सामान्य रोकड़ बही मैं प्रतिदिन की जाने वाली खैतानी (Posting) राजपत्रित अधिकारी द्वारा हस्ताक्षरित वाउचर द्वारा किया जाता है।
  • सामान्य रोकड़ बही के अंदर प्रतिपादित मदों का वर्गीकरण करने के उद्देश्य से प्रतिपादित पुस्तक सामान्य रोकड़ सार बही(General Cash Abstract Book) कहलाती है।
  • सामान्य रोकड़ सार बही की खैतानी प्रतिदिन रोकड़ बही के प्रत्येक शीर्ष के कुल योग से किया जाता है।
  • सामान्य रोकड़ सार बही 2 भाग में रखी जाती है जिसमें प्रथम प्राप्ति के लिए और दूसरा भुगतान के लिए होता है।
  • सामान्य पुस्तकों के अतिरिक्त सहायक विवरण अर्थात पूंजी, राजस्व, मूल्य ह्रास आरक्षित निधि(DRF), विकास निधि, चालू लाइन(निर्माण) राजस्व, आमदनी तथा अवर्गीकृत शीर्षो के अंतर्गत किए जाने वाले लेनदेन का ब्योरा दिखाने के लिए रखी जाने वाली पुस्तकें सहायक पुस्तकें(Subsidiary book) कहलाती है।
  • रेलवे में रखे जाने वाले सहायक पुस्तकें निम्न हैं-
    1. आमदनी का रजिस्टर (Register of Earnings)
    2. राजस्व आवंटन रजिस्टर(Revenue Allocation Register)
    3. निर्माण कार्य रजिस्टर(Register of Works)
    4. पूंजी, पूंजी निधि, मूल्य ह्मास आरक्षित निधि, विकास निधि एवं चालू लाइन निर्माण कार्य राजस्व में वर्गीकृत निर्माण कार्य रजिस्टर
    5. उचंत रजिस्टर(Suspense Register) जिसमें निम्न पुस्तकें है- 
      1. देय मांग रजिस्टर(Demands Payable Register)
      2. विविध अग्रिम रजिस्टर(Miscellaneous Advance Register)
      3. एफ-ऋण और अग्रिम रजिस्टर(F-Loans and Advances Register)
      4. निक्षेप अदत्त वेतन रजिस्टर(Deposit Unpaid Wages Register)
      5. विविध निक्षेप रजिस्टर(Deposit Miscellaneous Register)
  • आमदनी का रजिस्टर(Register of Earnings) उपार्जित(Accrued) आधार पर रखा जाता है।
  • आमदनी के लिए जो 3 रजिस्टर बनाए जाते हैं वो हैैै  - कोचिंग(X), माल(Y) और विविध आय(Z) है।
  • संचालन खर्च को उपयुक्त ब्यौरेवार शीर्षो के अंतर्गत दर्ज करने के लिए राजस्व आवंटन रजिस्टर(Revenue Allocation Register) बनाया जाता है।
  • राजस्व आवंटन रजिस्टर में व्यय का ब्यौरा विस्तृत शीर्षो (Detailed Heads) के अतिरिक्त प्राइमरी यूनिटों(Primary Units) में वर्गीकरण दिखाते हुए दर्ज किया जाता है जिससे व्यय के उद्देश्य का सार प्राप्त किया जा सके।
  • विभिन्न कार्यों पर विभिन्न लेखा शीर्षो और प्राक्कलनों के उपशीर्षो के अनुसार खर्च का अभिलेख रखने के लिए प्रतिपादित किया गया रजिस्टर निर्माण कार्य का रजिस्टर(Register of Works) कहलाता है।
  • वैसे लेन देन जो किसी ना किसी कारण से अंतिम शीर्षो में दर्ज नहीं किए जा सके हैं उसके लिए बनाए जाने वाला रजिस्टर उचंत रजिस्टर(Suspense Register) कहलाता है।

Structure of Indian Railway Accounts

भारतीय रेल लेखा कि सरंचना

  • भारतीय रेल सरकारी संस्था के साथ - साथ व्यापारिक प्रतिष्ठान भी है इसलिए इसमें दोनों प्रकार (सरकारी और वाणिज्य ) के लेखों को रखा जाता है।
  • सरकारी लेखें नकदी या वास्तविक आधार पर रखे जाते है।
  • व्यापारिक लेखें उपार्जित एवं देयता (Accured) आधार पर रखा जाता है।
  • सरकारी आवश्यकतानुसार रेलवे में रखा जाने वाला लेखा वित्त लेखा कहलाता है।
  • वाणिज्य आवश्यकतानुसार रेलवे में रखा जाने वाला लेखा पूंजी और राजस्व लेखा कहलाता है।
  • सरकारी लेखो के साथ संबंध स्थापित करने के लिए रेलों के लेखों में उचंत शीर्ष/लेखा बनाया जाता है जो निम्न हैै-
    • यातायात उचंत (Traffic Suspense)- यातायात आय के लिए
    • वसूली योग्य मांगे या प्राप्य मांगे(Demands/Bills recoverable)- अन्य आय के लिए
    • देय मांगे(Demands Payable)- व्यय के लिए
    • श्रम(Labor)-रेलवे कारखानों में श्रम भुगतान के लिए

  • आमदनी के लिए बनाया जाने वाला उचंत शीर्ष यातायात उचंत और वसूली योग्य मांगे है। इसका शेष हमेशा नामे(debit) होगा।
  • खर्च के लिए बनाया जाने वाला उचंत शीर्ष देय मांगे और श्रम है। इसका शेष हमेशा जमा(credit) होगा।
  • वह उचंत शीर्ष जो अवधि विशेष से संबंधित रेलवे के समस्त उपार्जित यातायात आय चाहे उसकी वसूली हुई है या नहीं, उसे उसी अवधि में लेने के लिए प्रचालित किया जाने वाला उचंत शीर्ष यातायात उचंत/लेखा कहलाता है।
  • एक महीने में बुक की गयी यातायात आय उसी महीने के हिसाब में लेखांकित करने के लिए और ऐसी बुक की गई आय कि वसूली पर निगरानी रखने के उद्देश्य से जो उचंत शीर्ष अनुरक्षित किया जाता है उसे यातायात लेखा/उचंत कहते है।
  • यातायात उचंत, यातायात पुस्तक के भाग 'ग' में रखा जाता है।
  • यातायात उचंत हमेशा नामे(Debit) शेष होता है।
  • यातायात उचंत का शेष ऐसे आय को प्रदर्शित करता है जो उपार्जित हो चुकी है किन्तु  महीने के अंत तक उसकी वसूली या समायोजन नहीं हुआ है।
  • यातायात आय के अतरिक्त उपार्जित आय संबंधित अवधि में लेने के लिए बनाया जाने वाला उचंत शीर्ष वसूली योग्य मांगे(Demands recoverable) है।
  • भूमि और इमारतों के किराए/पट्टे और साइडिंग से अनुरक्षण और ब्याज आदि से उपार्जित आय के लिए तैयार किया जाने वाला उचंत शीर्ष वसूली योग्य मांगे(Demands recoverable) कहलाता है।
  • वसूली योग्य मांगे उचंत शीर्ष हमेशा नामे या डेबिट शेष प्रदर्शित करता है।
  • वह संचालन खर्च जो देय या उपचित तो हो गए है परन्तु उनका भुगतान उस लेखा अवधि में नहीं किया जा सका है का समंजन के लिए बनाया जाने वाला उचंत शीर्ष देय मांगे(Demands Payable) है।
  • देय मांगे का शेष हमेशा जमा(Credit) शेष प्रदर्शित करता है जो कि एक राजस्व व्यय है।
  • श्रम शीर्ष रेलवे कारखाना में प्रतिपादित किया जाता है।
  • श्रम शीर्ष का शेष हमेशा जमा(Credit) शेष प्रदर्शित करता है।